Wednesday, January 16, 2019

कहाँ तो आसमान छूना था मुझे 

कहाँ तो आसमां छूना था मुझे
कहाँ दो फुट जमीन खोदी गयी मेरे लिए
कहाँ तो जमाने से बचाया मुझे
कहाँ मेरे अंदर के जमाने को  मारा गया
कहाँ तो भीड़ से बचाने का वायदा था
कहाँ भीङ मुझे ही बना दिया गया
कहाँ तो  नन्ही सी परी हूँ मैं कहा गया
कहाँ शैतान बन पंख काटे गए मेरे
कहाँ तो कंधे पर सैर करने की जिद थी मुझमें
कहाँ तो अब उँगली पकड़ने से भी डर लगता है
कहाँ तो नन्हे कदमों की आहट
से शोर मचाना था मुझे
कहाँ हवस की बेड़िया डाली गयी
कहाँ तो ईमान का पाठ पढ़ाना था मुझे 
कहाँ ईमान के सौदागरों को बेचा गया मुझे 
कहाँ तो सविंधान पढने की हिदायत दी 
कहाँ किताबों की बोली लगायी गयी 
कहाँ तो आँखों का तारा रखना ख्वाब था 
कहाँ महफिल की नुमाइश बना दिया मुझे 
कहाँ तो हाथो में मेहंदी लगनी थी मेरी 
कहाँ अपने हाथों को मेरे खून से रंगा गया 
कहाँ तो देश दुनिया की सैर कराने का वादा था 
कहाँ मुझे दुनिया से अलग कोख में मारा गया !!!!!


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