कहाँ तो आसमान छूना था मुझे
कहाँ तो आसमां छूना था मुझेकहाँ दो फुट जमीन खोदी गयी मेरे लिए
कहाँ तो जमाने से बचाया मुझे
कहाँ मेरे अंदर के जमाने को मारा गया
कहाँ तो भीड़ से बचाने का वायदा था
कहाँ भीङ मुझे ही बना दिया गया
कहाँ तो नन्ही सी परी हूँ मैं कहा गया
कहाँ शैतान बन पंख काटे गए मेरे
कहाँ तो कंधे पर सैर करने की जिद थी मुझमें
कहाँ तो अब उँगली पकड़ने से भी डर लगता है
कहाँ तो नन्हे कदमों की आहट
से शोर मचाना था मुझे
कहाँ हवस की बेड़िया डाली गयी
कहाँ तो ईमान का पाठ पढ़ाना था मुझे
कहाँ ईमान के सौदागरों को बेचा गया मुझे
कहाँ तो सविंधान पढने की हिदायत दी
कहाँ किताबों की बोली लगायी गयी
कहाँ तो आँखों का तारा रखना ख्वाब था
कहाँ महफिल की नुमाइश बना दिया मुझे
कहाँ तो हाथो में मेहंदी लगनी थी मेरी
कहाँ अपने हाथों को मेरे खून से रंगा गया
कहाँ तो देश दुनिया की सैर कराने का वादा था
कहाँ मुझे दुनिया से अलग कोख में मारा गया !!!!!
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