Friday, May 18, 2018

वजह

 वजह 

मेरे आँसुओं से पूछो 
ठहरने की वजह क्या है 
वजह की गहराई से पूछो 
छुपी निर्झारिडी शक्ति 
बहती कम होती 
ह्रदय के तिमिर  से 
पूछो मायूस होने 
की वजह क्या है 
तरसती आँखों से पूछो 
प्यास की वजह क्या है 
मेरी सिसकियों से पूछो 
सुबकने की वजह क्या है
वजह की परछाई 
से पूछो 
भोर की कीमत क्या है 
काश ! कोई मुझसे पूछो 
मेरे आँसुओं की 
वजह क्या है  

बूँद

बूँद 


तबके सुबह के अंधेरों में
कल इसकी रोशनी से
चमकेगी ओस के
जैसी ज़िन्दगी
जो छलक कर जाये
पतियों पर गिरे ,
या अठखेलियां करती
मासूमियत लहरों में
स्याह रातो की गर्त
से निकले आबाद
उस जमाने की
तहजीबों के पैमाने से
नापेगी गहराई उस
उम्र की जो बात
 बात पर रूठे या
खिल उठे थाम के
दामन खुबसूरत कहानी
के आँचल को
जो सिहर उठेगी
इस निस्पंदन जगत में
तूफान लिए !

Sunday, May 13, 2018

बदलाव

बदलाव 


उषा की लालिमा को ,
सफेद चादर से ढकते देखा है
धुंध में चिड़ियों की चहचाहट
को दबते देखा है,
उगते सूरज की लहरों में
बर्फ को बहते देखा है
हारिल को पग पग फिरते देखा है
ओस की बूंदों को सूखे पत्तियों
पर फिसलते देखा है
तपती दुपहरी के बीच ललाटपर
लकीरों को खींचते देखा है
लकीरो के गर्त में आंसुओ
की वजह को दबते देखा है
है पानी के बुलबुले सा जीवन
 आज उसी जीवन को उर्द्धन्द ज्वाल
में शान्त होते देखा है
सदिया गुजर गयी सहारा
बनाते बनाते, उसी सहारे को
सर जमीं पे शहादत ऐ
कुर्बान देखा है
छोटी इमारतों में दबे ऊँचे सपने
उस इमारत को द्रष्टि दी
जिन हाथो ने
आज उनकी सर की छत से
पानी टपकते देखा है
दो वक्त की रोटी को
वर्ष भर खेत में देखा है
कहते जिसे सोने की चिड़िया
आज उस देश के किसान को
कर्ज में डूबते मरते देखा है
सुना है कभी इस देश को '
विश्व गुरु की उपाधि दी थी
पर यह क्या
गुरु को शिष्या की आबरू
सरे आम करते देखा है
देश  की शक्ति को
 लघु लुहान देखा है

दूसरी चिट्ठी

वक़्त किताबों के पन्नों की तरह पलटता जा रहा है और ऐसे ही अब तुम २ वर्ष के एक नन्हें से फूल बनते जा रहे हो ,नन्हें फूल की शैतानियों किलकारियों...