Friday, January 18, 2019
Wednesday, January 16, 2019
कहाँ तो आसमान छूना था मुझे
कहाँ तो आसमां छूना था मुझेकहाँ दो फुट जमीन खोदी गयी मेरे लिए
कहाँ तो जमाने से बचाया मुझे
कहाँ मेरे अंदर के जमाने को मारा गया
कहाँ तो भीड़ से बचाने का वायदा था
कहाँ भीङ मुझे ही बना दिया गया
कहाँ तो नन्ही सी परी हूँ मैं कहा गया
कहाँ शैतान बन पंख काटे गए मेरे
कहाँ तो कंधे पर सैर करने की जिद थी मुझमें
कहाँ तो अब उँगली पकड़ने से भी डर लगता है
कहाँ तो नन्हे कदमों की आहट
से शोर मचाना था मुझे
कहाँ हवस की बेड़िया डाली गयी
कहाँ तो ईमान का पाठ पढ़ाना था मुझे
कहाँ ईमान के सौदागरों को बेचा गया मुझे
कहाँ तो सविंधान पढने की हिदायत दी
कहाँ किताबों की बोली लगायी गयी
कहाँ तो आँखों का तारा रखना ख्वाब था
कहाँ महफिल की नुमाइश बना दिया मुझे
कहाँ तो हाथो में मेहंदी लगनी थी मेरी
कहाँ अपने हाथों को मेरे खून से रंगा गया
कहाँ तो देश दुनिया की सैर कराने का वादा था
कहाँ मुझे दुनिया से अलग कोख में मारा गया !!!!!
बेचेहरा स्याह रातें
बेबाक इस दुनिया में
तरकश भूमि जिसकी
मिट्टी हाथों से फिसली
रगों में अंगार भरती चली
वीरो की भूमि है ये ,
बंजर होके भी कभी
बुजदिल पैदा नहीं करती ,
शीश चढ़ाया अपने लाल का
ओढ़ी चुनर लाल खून से सनी
थामे लगाम हाथ में ,
निकल पड़ी परवाह दौड़ी
रगो में खुद से पहले देश की
कराया नतमस्तक रुतबे को
चिंगारियों की मातृभूमि को
शौर्य तुझे हो जाना है
तारों भरी सुबह है
झिलमिलाते रास्ते है
नयी कोपे फूटने को है
तुझे नयी मिसाल दागनी है
पथ से तु न डगमानना
विध्वंस की सीमा पार कर
शौर्य तुझे हो जाना है
बेमिसाल कहुँ या कि
बेहिसाब से जो उलझने है
सुलझी सी जो उलझने है
स्वंय प्राण की जो चेतना
तुझे पुकार रही है
वाणी से जो तुझे
तेरे भीतर दहका रही है
इतिहास के पन्नों में लिखी
जो वीर गाथा का प्रमाण है
प्रमाण नहीं वो तो शूरवीरों
का मातृभूमि के लिए त्याग है
जिस तप के लिए तड़पा हर
पिता हर सोमवार है
और माँ जिसने अपना दूध
मिट्टी को सौंप दिया
तुझे उस रज के लिए
वीर हो जाना है
पथ से तु न डगमगना
शौर्य तुझे हो जाना है
जीत भी तु,तेरी हार भी तु
जीत भी तु,तेरी हार भी तु
है अगर आग तो पानी भी तु
तेरे हर वार में जिन्दा है तु
तेरी हर साँस पे लिखा फौलादी है तु
तेरा मान भी तु तेरा स्वाभिमान भी तु
तेरी हर वीरता पर लिखा अभिमान भी तु
है अगर मिट्टी भी तो जड़ें फैला अपनी ,
ना रचे फिर कायरी इतिहास कोई
ये जंग ए एलान कर तु
भाग्य भी तु विधाता भी तु
देश की खींची लकीरों का नसीब भी तु
बेड़ियों से बंधा भी तु आजाद परिंदा भी तु
पंखो से तेरी देश की उड़ान भी तु
तेरी रग भी तु ,रग का बहता लघु भी तु
दौड़े जो परवाह देश की वो भी तु
उद्धार भी तु ,आधार भी तु
अंगारे जो बरसा दे वो
दुश्मन का काल भी तु
तेरी रूह का लिबास भी तु
ध्वज तिरंगा जो मिल जाये
तो है स्वर्ग की शान भी तु
स्वंय प्राण की चेतना है यही
कि है एक भारतीय तु
है एक भारतीय तु
जय हिन्द जय भारत !!
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