Sunday, April 26, 2020

नन्ही कली खिली है


कल स्याह रातों की
तर्ज को रोशन करते
एक नन्ही कली खिली है
बेहद मासूम पर ,
कुछ भय में लिपटी है
सम्बोधित कर पूछे यह
बार - बार हर नजर से ,
धरातल पर जो युद्ध
छिड़ा महामारी के प्रकोप से,
कोना क्या एक कदम भर
मोहलत होगा बचपन के खेलों से,
आरज़ू करूँ, शिकायत करूँ,
या कि ह्रदय की असीम बेदना व्यक्त करूँ?
ममता की छावं में शीश झुका पाउंगी
या कि महामारी के युद्ध में भागीदार ,
बन शाम ढले सूरज की बाहों में
सदैव की निद्रा को गले लगाउंगी ।
नई तकनीकें, नए परीक्षण
आधुनिक बनने का नकाव
पहने हम सब ने खुद ही कहर
अपने ऊपर बरपाया है
जवाब माँग रही हमसे ,
हर आँसू की एक बूँद है
जन्मदाता तो, बन बैठे हैं
तकनीकी दुनिया के
क्षमा कोसों दूर रहेगी
हमारे नसीबो से
जो माँ- बाप के आसरे के
लिए हमको तरसाया है
नज़र भर देख भी न सके
आँखों के तारे थे हम
जिस जननी के ,
कंधा देना लकीरो में न था ,
राख भी न मिली हमें
कारण , कोरोना की कैद में हम
कोरोना की कैद में हम
© Khushboo Agrawal

Sunday, April 19, 2020

बदलाव

तपती दुपहरी में छाव की तलाश करते हुए एक नन्ही चिड़िया पेड़ के नीचे जा बैठी वहां मौजूदगी थी एक और चिड़िया की
पहले से मौजूद चिड़िया ने दूसरी चिड़िया से कहा -: तुम्हारा नाम लड़की है|
आश्चर्य से भरी मासूम आंखों ने एकटक होकर पूछा -: आपको कैसे पता मेरा नाम ?
मन्द मुस्कुराहट से उसने कहा मेरा नाम भी पहले लड़की था अब वह बदल गया 
अब मेरा नाम औरत है |
लड़की चिड़िया के मन सवालों से  चलने लगा और पूछा -: पर वह तो मेरी नाम मां का नाम है 
औरत चिड़िया ने कहा -: जीवन के एक चौथाई भाग को अनुभव कर लेने के बाद तुम्हारा नाम भी औरत हो जाएगा संसार नियमों से घिरा हुआ है प्रत्येक को अपने हिस्से के नियमों का पालन करना पड़ता है यही संसार ब्द्ध जीवन है 
लड़की चिड़िया ने कटाक्ष व्यंग्य करते हुए बोली -: मै कोई नियम का पालन नहीं करूंगी मै स्वंचंड आकाश में विचरण करूँगी हवाओं का रुख मोडूंगी हवाओं के साथ बहना है अम्बर की गहराई को नापना है मुझे चाहे कुछ भी मैं अपना अस्तित्व नहीं बदलूंगी मेरा नाम लड़की रहेगा 
सिर पर हाथ फेरते हुए करुणा भरीआँखों से एकटक होकर औरत चिड़िया अंतर्मन में दुआएं करने लगी काश ! ऐसा हो जाए मेरी दुआएं तेरे साथ है |
कुछ देर सोचने के बाद फिर लड़की चिड़िया ने कहा -: कुछ समय पश्चात हम दोनों फिर यही मिलेंगे इसी अंब के नीचे 
समय गुजरता चला गया 
दोनों चिड़ियों का आमना सामना फिर हुआ ।
कुछ समय पहले तक लड़की चिड़िया आजादी, बेफिक्री स्वाभिमान की बात करते थकती नहीं थी आज वो मायूस जान पड़ रही थी मन में सवालों का तूफ़ान उठ रहा था ऐसा लग रहा था मानो जीवन के सच से परिचय हुआ हो औरत चिड़िया कुछ कह पाती उसके पहले ही उसने कहा मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ वह अपने गुजरे समय की व्यथा सुनाने लगी 
हमारे घोसलें में माँ पापा भाई रहते थे हमारा घोसलां कैद था घोसलें के ऊपर पिंजड़े बने है तब भी मैं आज़ाद थी मन किया तब आकाश में विचरण करने जाती मन किया तब खेल कूद करती हंसती गाती ज़िम्मेदारी शब्द से परे थी 
एक दिन मेरे पिता ने कहा -: अब तुम्हें दूसरे घोंसले जाना है वो दूर नही पास ही है हम तुमसे मिलने आते रहेंगे और वो घोंसला हमारे से बहुत बड़ा भी है तुम्हें वहाँ उतना ही प्यार मिलेगा बहुत खुश रहोगी वहाँ भी रोते हुए पूछा मैंने -: पर क्यों जाना है? मुझे  मैं नही जाऊँगी कभी नही 
समझाते हुए मेरे पिता ने कहा -: यही संसार का नियम यही प्रव्रत्ति है बदलाव ही जीवन है यह अगला चरण है नई दिशा पर चलने  का समय है इस पर चलकर तुम अपने आसमान की गहराई नापना |
दर्द भरी मुस्कान और अपनों से अलग होने की स्थिति का समय बहुत जल्दी आ गया 
लड़की चिड़िया ऐसे रोई मानो नदी अपने किनारे को मैला देख बिखरती हुई लहरों को किनारो तक लाती और बेबस वापस ले जाती पर मैल साफ हो बल्कि लहरों के साथ गंदगी और बिखर जाती । 
लड़की चिड़िया ने फिर कहा -: सभी ने मुझे दूसरे घोंसले भेजने की तैयारी कर ली अंतर्मन मेरा टूट रहा था बिखरा हुआ और मैं असहाय बेचारी नियमों की दुहाई में बंधे मन के  टूटते बाँध को संभाल नही पा रही |
आखिर उस दिन मुझे अपना बचपन का घोसला छोड़ना ही पड़ा 
वहाँ जाकर देखा और भी चिड़िया बहुत बेसब्री से मेरे इंतज़ार में हो ऐसा लग रहा था वह बहुत बड़ा था पर उसके ऊपर भी एक पिजड़ा था आँसू से भरे नैन अपने माँ पापा की याद करते रहते पर वो मिलने नही आये कुछ  समय गुजरा एक दिन मैंने सोचा बहुत दिन हो गए अम्बर की सैर करके आती हूँ जैसे ही मैं पिजड़े से निकलने को हुई मुझे रोक दिया गया यह कहकर अब यह तुम्हारा घर नही यहाँ तुम बिन पूछे बिन बताये और तय समय से ज्यादा नही जा सकती यहाँ के कुछ नियम हैं उनका पालन करना पड़ेगा तुम्हे 
अचरज से भर गया मन स्वछन्द घूमना तो प्रवृति है हमारी उसमे क्या नियमों का पालन करना 
पिजड़ा बड़ा हुआ तब मैं कैद हुई जब पिजड़ा छोटा तब मैं आजाद हुई ये कैसा दस्तूर है ?
औरत चिड़िया ने उसे बहुत दुलार पुचकारा समझाया  याद है हम कुछ समय पहले मिले और बातों का दौर वही से शुरू हुआ अब तुम अपने जीवन के एक तिहाई हिस्से को अनुभव कर चुकी हो अब तुम्हारा नाम भी औरत हो जाएगा अश्रु धारा बह चली प्रकृति के खिलौनों की मनुष्य के रचे इतिहास के हाथों बेज़ुबान बन रह गए सभी  
अगले ही पल लड़की चिड़िया कुछ संभली और उत्साह भरे शब्दों में कहा -: ठीक है अगर मेरे अस्त्तित्व की यही पहचान है तो मै औरत की परिभाषा बदलूंगी 
ऊँचे ऊँचे वृक्ष हमारे 
नैनो में ठहरे ख्वाब हमारे 
सदिया साथ निभाये पंख हमारे 
पवन उड़ा ले जाये जहाँ
उड़ चल बहना हमें वहाँ|
औरत चिड़िया पंक्तियां सुन झूम उठी उसे नई आशा प्रकट होते दिखी वह बोली -: मेरी प्यारी बेटी ,बहादुर बेटी तुम एक नई परिपाटी की रचियता बनोगी 
लड़की चिड़िया ने कहा -: हाँ माँ  मैं दिशा बदलूंगी ये जो समाज नाम का पिजड़ा हमारे घोसलों पर है उसके ऊपर उड़ना है अब दोनों गंतव्य की ओर चल दी 
बहुत से संदेश और विचारों की एक कल्पना पर आधारित वास्तविकता से आईना करने की एक कोशिश |

दूसरी चिट्ठी

वक़्त किताबों के पन्नों की तरह पलटता जा रहा है और ऐसे ही अब तुम २ वर्ष के एक नन्हें से फूल बनते जा रहे हो ,नन्हें फूल की शैतानियों किलकारियों...