रंग चढ़ा हलदानी मोहे,
काहे री अम्मा ,सुन लेना मेरी अम्मा,
रंग तो खूब चोखो री रचयो मेरी अम्मा,
मन सबके रिझावै मेरी मेहंदी
फिर-फिर नाहिन हाथन निगाहें भरे मेरी अम्मा ,
काहे री अम्मा ,सुन लेना मेरी अम्मा
एक रंग चढ़ो तो दूजो रंग उतर रहयो मेरी अम्मा,
काहे कोई देख न पावे मेरी अम्मा,
तूने तो मोहे जन्म दियो,
नौ मास अपने सीना में बसायो मेरी अम्मा
काहे तूने अपनो अंग बनायो
काहे री अम्मा , सुन लेना मेरी अम्मा,
लाड लडायो चलना सिखायो ,
काहे री तूने पंख लगाये
काहे मोहे निगाहे में अपने बसायो,
जो पच्चीस बरस होवे
कैसे री नैन बिछुड़ावेगी मेरी अम्मा,
काहे री अम्मा, सुन लेना मेरी अम्मा,
जो तूने उड़ना सिखायो
काहे फिर पंख कटाये मेरी अम्मा,
सपनों का रंग फीका कर अम्मा
हलदानी रंग चढ़ो री अम्मा,
खूब गहरी रची है मेहंदी तो
काहे मेरे नैनन काजल भरो री अम्मा
काहे गीली होवे अखियाँ तेरी मेरी अम्मा,
काहे री अम्मा, सुन लेना मेरी अम्मा,
रीति- रिवाज खूब सजी है महफिल में
काहे मेरे मन भीतर अकेला हुआ री,
तू भी न जाने किस ओर बैठी मेरी अम्मा,
सिर पर हाथ फिरावे गी कब मेरी अम्मा,
काहे री अम्मा , सुन लेना मेरी अम्मा,
जे तूने रंग तो खूब चढ़ायो मोहे
काहे मेरे बचपन रंग उतारे अम्मा,
तारों सी रात जगी है आँगन में
काहे मेरे ख्वाब में छायो अँधेरो अम्मा,
अगले दिन जब होवे विदाई
अकेले आँगन बैठ मत रोइयो मेरी अम्मा,
काहे री अम्मा, सुन लेना मेरी अम्मा,
मुझ पर जो गर्व कियो तूने
आखिरी सीख सीखा दे मेरी अम्मा,
मोहे दी जावे सौगात सी
सुनावे जावे पीहर दोष,
तो याद न आवे तू मेरी अम्मा,
कोने में बैठ मेरी सिसकियाँ
तुझ तक न पहुँचावे मेरी अम्मा,
काहे री अम्मा, सुन लेना मेरी अम्मा।