Friday, January 18, 2019

कोमल पखुंडिया और कठोर रास्ते जो चल पड़े एक मंजिल जहाँ उनकी खूबसूरती फीकी तो न हुई पर जिन हवाओ के सहारे बहना था उन्हें एक तूफान का सा सबब बन हवाओं ने उनके वजूद को हिला दिया पर खुशबू आज भी रूह तक समायी है हौसला ए बुलंद के साथ 



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दूसरी चिट्ठी

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