दिसंबर की धुप
नरम धूप
और ठण्डी छाँव
बाँहो का फैलना
गिनना और बुनना
फिर रीझ जाना
बुनते स्वेटर की
चहलकदमी से धूप
सेंकना था कि
शरारतें मुट्ठी भर
धुप छत से आँगन तक ले जाने की
वापस छत ,छत से आँगन
और फिर से छत
तक के सफर में
धुप को कैद करने
की जिद में रूठ कर बैठना
या की चिढ़ जाना
या चिढ़ा जाना किरणों को
दिसम्बर की वो दुपहरी
जब चौपाल लगे
और परिंदो की
कहानियो के बीच
खुली आँखों से सूरज
को देखने की आरज़ू
मुकम्मल हो ||
चहलकदमी से धूप
सेंकना था कि
शरारतें मुट्ठी भर
धुप छत से आँगन तक ले जाने की
वापस छत ,छत से आँगन
और फिर से छत
तक के सफर में
धुप को कैद करने
की जिद में रूठ कर बैठना
या की चिढ़ जाना
या चिढ़ा जाना किरणों को
दिसम्बर की वो दुपहरी
जब चौपाल लगे
और परिंदो की
कहानियो के बीच
खुली आँखों से सूरज
को देखने की आरज़ू
मुकम्मल हो ||
No comments:
Post a Comment