क्या लिखुँ जहाँ एक और देश के वीर जवान साजिश का शिकार हो गए है वही दूसरी ओर युवा श्रद्धांजलि दे रहे है
श्रद्धांजलि शब्द बहुत छोटा लग रहा है उनकी शहादत के आगे सोशल मीडिया पर आक्रोश जताया जा रहा है जवानो को नमन किया जा रहा है और असल जिंदगी में शाहगर्दी के बाद भी valentine day मनाया गया
शहीदों की अमरता लिखुँ शहादत लिखुँ बूढ़ी माँ का विलाप लिखुँ या अपनी कायरता लिखुँ जो हम हाथ पर हाथ रखे बस श्रद्धांजलि दे रहे है क्या शहीदों की कुर्बानी किसी व्याख्यान की मोहताज़ है या फिर किसी श्रद्धांजलि की श्रद्धांजलि देने से पहले जाकर देखो उनकी चौखट पर वर्षो का इंतज़ार मिलेगा देखो उस सुनी माँग को जो अब इंतज़ार भी नहीं कर सकती
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