मॅहगी रिवाज़ो में बिकते
सस्ते धागो के रिश्ते
दिखावट की आड़ में
गुम होती परछाई
बेईमानी की राह पर
तरसती तरफ़दारो की अगुवाई
नगमा ऐ जिस्म होती
लाज ये पीर पराई
बिखरते लफ्ज़ो की सिमटती किताबे
सुबकती जिसमे परिंदो की कुर्बानी
है नहीं आज उसका मोल
जो थी कभी अनुभव की कहानी
खाक ये सुपुर्द मिट्टी की सुगंद
धारा का साहिल है ये नम
रुहानी ए राज होते फूलो के रंग
स्याह रातो में बिखरती
लफ्ज़ो की इबादत
झर झर करती जिसमे
राहो की हलचल !!!
सस्ते धागो के रिश्ते
दिखावट की आड़ में
गुम होती परछाई
बेईमानी की राह पर
तरसती तरफ़दारो की अगुवाई
नगमा ऐ जिस्म होती
लाज ये पीर पराई
बिखरते लफ्ज़ो की सिमटती किताबे
सुबकती जिसमे परिंदो की कुर्बानी
है नहीं आज उसका मोल
जो थी कभी अनुभव की कहानी
खाक ये सुपुर्द मिट्टी की सुगंद
धारा का साहिल है ये नम
रुहानी ए राज होते फूलो के रंग
स्याह रातो में बिखरती
लफ्ज़ो की इबादत
झर झर करती जिसमे
राहो की हलचल !!!
No comments:
Post a Comment