वंदिगी
अल्लाह की वंदिगी
वो कर रहमत मेरी
हो अगर तेरा साथ
खिल उठेगी बगिया भी मेरी
तेरी इनायत के रुतबे
नजरे कर्म अब मुझ पर भी कर दे
हूँ मैं तो तेरा छोटा सा नग्मा
अपनी वंदिगी मुझ में भी भर दे
रोशनी वो चाँद की
रुतबा ए मस्जिद का
खुशबू वो चादर की मुझ पर भी कर दे
चाहत वो तेरी दुआ की
मेरी मुकम्मल कर भी दे
महरून हो जाती माथे की लकीरे
तेरी इबादत ऐ सुकून में
दे दे मुझे रजा या सजा
हूँ तेरी शिकस्त मे मैं
हूँ तेरी शिकस्त मे मैं
वो कर रहमत मेरी
हो अगर तेरा साथ
खिल उठेगी बगिया भी मेरी
तेरी इनायत के रुतबे
नजरे कर्म अब मुझ पर भी कर दे
हूँ मैं तो तेरा छोटा सा नग्मा
अपनी वंदिगी मुझ में भी भर दे
रोशनी वो चाँद की
रुतबा ए मस्जिद का
खुशबू वो चादर की मुझ पर भी कर दे
चाहत वो तेरी दुआ की
मेरी मुकम्मल कर भी दे
महरून हो जाती माथे की लकीरे
तेरी इबादत ऐ सुकून में
दे दे मुझे रजा या सजा
हूँ तेरी शिकस्त मे मैं
हूँ तेरी शिकस्त मे मैं
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