Sunday, May 5, 2019

बेबसी 

माँ वो अनगिनत पृष्ठों की किताब है जो जितनी बार पढ़ी जाती है उतनी बार एक नयी कहानी गढ़ती है  हर एक पन्ना कीमती होता है अगर कभी यही किताब खो जाये तो रोशनी के बावजूद अँधेरा होता है कुछ ऐसा ही बयां कर रहे थे उसके आँसू  आज क्लास में जब बहुत दिनों बाद आयी तो मैडम ने पूछा सोनिया इतने दिनों बाद इतनी छुट्टी क्यों करती हो कोर्स कैसे होगा  कुछ पल को सहम सी गयी और बोली मैडम दादी मना कर देती है  घर का सारा काम मुझे करना पड़ता है उनके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा मैं ही हु मैडम तेज आवाज में बोली अपनी दादी से मेरी बात कराना मैं समझाउंगी अभी से इतना काम करोगी  तो पढ़ोगी  कब कल से तुम्हे हर रोज आना है |  ठीक है मैम कल से हर दिन आएंगे और रोने लगी  उसका रोना देख कर लग रहा था जैसे सालों से इंतज़ार कर रही थी रोने का  हर एक सुबकी में दर्द छुपा था और शायद ख़ुशी भी थी कि आज किसी ने तो हमदर्दी दिखायी उसका हर एक आँसू उसकी बेबसी का सबूत था 
वो बेबसी जो आज तक किसीसे कह नहीं पा रही थी आज उसने बता ही दिया 
तीन साल की थी जब उसकी माँ इस दुनिया को छोड़कर चली गयी पापा ने दूसरी शादी की और अलग हो गए दादी की तालीम से बड़ी हुई है दादी की भी अब उम्र हो चली थी कहने को बड़े भाई और भाभी है पर वो जल्लाद से कम नहीं है किस्मत खराब होती है सुना था पर खाली भी होती है आज देख लिया | 
उसके आँसू बांटकर सुकून भी था और गुस्सा भी की ६ महीने से वो क्लास में आ रही थी पर आज तक मैं उसके दुःख को नहीं देख पायी उसका हर एक आँसू भाभी के अत्याचार के बोझ तले दबा हुआ था आज घर जाकर उसको थोड़ा हल्का महसूस हुआ होगा इतने दिनों बाद रोयी थी भाभी कुछ भी काम नहीं करती है छोटा भाई ठेला लगाता है दादी बुजुर्ग है उनका भी काम मुझे करना पड़ता है उसके अंदर एक तूफ़ान सा दबा  हुआ था  जो आज 
बह रहा था पूरी क्लास शांत उसकी बेबसी को सुन रही थी मैडम ने कहा तुम अपने बड़े भाई को समझाओ और मना कर दो मैडम ने फिर कहा जब तक तुम आवाज नहीं उठाओगी तुम्हें ऐसे ही काम करना पड़ेगा उसे थोड़ा हल्का महसूस हुआ होगा ठीक है मैं बोल दूँगी धीरे से कहा मैडम ने फिर कहा ऐसे काम नहीं चलेगा तेज आवाज उठाओ सोनिया फिर रोने लगी उसके अंदर से आवाज आ रही थी आज मुझे रो लेने दो वह दादी के लिए और दादी उसके लिए अत्याचार सह रहे है जब से माँ छोड़ कर गयी है दादी ही माँ बाप दोनों है 

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