Sunday, September 10, 2017

आज फिर वो फुटपाथ पर सो गयी 

आज फिर वो फुटपाथ पर सो गयी 
छोड़ कर सपनो की नींद,
रात भूख के साथ सो गयी 
ओढ़ी चादर बेबसी की 
कल कोई आकर उसे 
जगा ही दे उसकी भूख 
मिटाने को खाना दे ही दे 
तब तक गुंजती रही किलकारी 
जो झकझोर रही उसकी
 खामोशी सहन न कर सकी 
भूख अपने उस त्याग की 
जिसको उसने जन्म तो दिया 
पर पेट भरने के लिए 
उम्मीद न दे सकी ,
शर्मनाक होते इस झूठे 
जहाँ में निकली वो जिस्म की 
कैद से छोड़ कर रूह के 
खाब बंध ही गया फंदा 
और हो गयी पनाह 
भूख के आबाद
सो गयी मौत की नींद 
वो किलकारी के साथ
 आखिर सो ही गयी वो 
भूख के साथ मौत की नींद।।।।।

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